Pujya Bapu Shri Mahant Churamani Saheb

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब का सद्गुरु कबीर साहेब से जुड़ाव कैसे हुआ

मैं बचपन से ही भक्ति मार्ग से जुड़ा हुआ हूं। जब मैं छोटा था, तब मेरे माता-पिता के साथ गांव में कहीं रामायण, भागवत कथा या सत्संग होता था, तो मैं भी वहां जाता था। जब मेरी आयु पाँच वर्ष की हुई, तो मैं अकेले ही गांव में जहां भी रामायण पाठ होता, वहां जाने लगा। मैं भगवान श्रीराम, हनुमान जी, भगवान शिव, और अन्य अनेक देवी-देवताओं की अत्यंत श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ पूजा, उपासना, एवं सेवा-भक्ति करता था।

जैसे-जैसे मेरी आयु बढ़ती गई, गांव के सभी रामायण मंडली के साथ मैं गांव या आस-पास जहां कहीं भी रामायण कथा होती, वहां जाने लगा। इसमें मेरी माता जी का सबसे बड़ा योगदान रहा। मैं जब भी कहीं जाता, उनसे पूछ कर जाता और उन्होंने कभी भी मुझे मना नहीं किया। यहां तक कि मैं कभी-कभी विद्यालय भी छोड़कर कथा-सत्संग में चला जाता।

जब मेरी आयु नौ वर्ष की थी, तब मैं अपने जन्मस्थान गांव पेंड्री से तीन किलोमीटर दूर सुकुलदैहान के पास एक रामायण मंडली “श्री तुलसीकृत बाल मानस मंडली” के साथ रामायण कथा सुनने गया। उस समय वहां रामायण में “नवधा भक्ति” का प्रसंग चल रहा था। कथा में श्रीराम शबरी से कह रहे थे:
प्रथम भक्ति संतन्ह कर संगा।
दूसर रति मम कथा प्रसंगा।

इसमें “प्रथम भक्ति संतन्ह कर संगा” की पंक्ति मेरे मस्तिष्क में गहराई तक बैठ गई। मैंने सोचा कि जिनको हम भगवान, श्रीराम, तीनों लोकों का स्वामी मानते हैं, वे स्वयं कह रहे हैं कि मेरी पहली भक्ति संतों का संग करना है। इस बात ने मेरे मन में एक गहरी जिज्ञासा उत्पन्न कर दी। इसका तात्पर्य यह था कि ये भगवान, देवी-देवता तो हैं, परंतु पूर्ण परमात्मा नहीं हैं।

अब मेरे मन में यह प्रश्न उठने लगा कि वह पूर्ण परमात्मा कौन है? मुझे तो उसी की प्राप्ति करनी है, और उसी की भक्ति करनी है।

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी के बारे में

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी ने अपना जीवन सद्गुरु कबीर साहेब जी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में लगा दिया है ।  बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी द्वारा समाज में आध्यात्मिक जागरूकता लाने और मानवता के कल्याण के लिए विभिन्न पहलें की जा रही हैं। सद्गुरु कबीर साहेब जी की शिक्षाएं, जो सत्य, प्रेम, समानता और मानवता पर आधारित हैं, को पूरी दुनिया तक पहुंचाना बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी प्रमुख उद्देश्य है।

महंत चुरामणि साहेब जी के मार्गदर्शन में “कबीर पंथ” का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उनका यह प्रयास न केवल आध्यात्मिक चेतना को बढ़ावा देता है, बल्कि समाज में व्याप्त अज्ञान, भेदभाव और असमानता को मिटाने का माध्यम भी है। कबीर साहेब जी की वाणी जैसे – “सत्य ही ईश्वर है” और “मनुष्य को मनुष्य से प्रेम करना चाहिए,” को सरलता और सच्चाई के साथ लोगों तक पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है।

इसके साथ ही, समाज सेवा के क्षेत्र में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित करना एक महान कार्य है। इन शिविरों के माध्यम से गरीब और जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जो अक्सर इन सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी ने कई परिवारों को स्वस्थ जीवन की ओर प्रेरित किया है। यह पहल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने का कार्य करती है, बल्कि मानवता के प्रति एक सच्ची सेवा भी है।

“फ्री कबीर साहेब गुरुकुल विद्यालय” बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी का एक और महान प्रयास है। यह विद्यालय बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करता है, जिसमें कबीर साहेब जी की शिक्षाओं को उनके जीवन का हिस्सा बनाने पर जोर दिया जाता है। शिक्षा के साथ-साथ यहां बच्चों को नैतिक मूल्यों, सत्य, अहिंसा और प्रेम का पाठ पढ़ाया जाता है। यह गुरुकुल एक ऐसा वातावरण तैयार करता है जहां बच्चे अपने जीवन को समाज के लिए उपयोगी बना सकें।

बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी के नेतृत्व में समाज के विभिन्न हिस्सों में कबीर साहेब जी के संदेश को प्रचारित किया जा रहा है। उनके द्वारा किए जा रहे कार्य जैसे – जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराना, पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करना, और गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना – समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक हो रहे हैं।

कबीर साहेब जी की वाणी, जो मानवता, समानता और प्रेम का प्रतीक है, बापू जी के प्रयासों से लाखों लोगों तक पहुंच रही है। उनका यह कार्य न केवल एक धार्मिक पहल है, बल्कि यह समाज को जागरूक और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा योगदान है। सद्गुरु कबीर साहेब जी के सत्य और प्रेम के संदेश को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का उनका यह प्रयास एक आदर्श उदाहरण है।

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी के प्रयासों से यह संभव हो रहा है कि समाज के वंचित और जरूरतमंद वर्ग को न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं, बल्कि वे आत्मनिर्भर और सशक्त भी बन रहे हैं। उनका यह मिशन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी उदेश्य

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी का उद्देश्य:

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी का मुख्य उद्देश्य है समाज में सत्य, भक्ति, और अध्यात्म के प्रसार के माध्यम से लोगों के जीवन में बदलाव लाना। वे साधना, भक्ति, और सेवा के माध्यम से समाज में धार्मिक और सामाजिक चेतना जागृत करना चाहते हैं। उनका उद्देश्य है साधू-संतों की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना और लोगों को धार्मिक, नैतिक, और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देना।

महंत चुरामणि साहेब जी का उद्देश्य न केवल व्यक्ति को व्यक्तिगत मोक्ष की ओर अग्रसर करना है, बल्कि उन्हें समाज के प्रति भी जागरूक और सेवा-भाव से ओत-प्रोत करना है। वे अपने अनगिनत कार्यों के माध्यम से समाज को स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आपसी सहयोग का पाठ पढ़ाते हैं। उनकी प्रेरणा से कई निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं, जो जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं। इसके अलावा, वे फ्री कबीर साहेब गुरुकुल विद्यालयों की स्थापना करके बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराते हैं, ताकि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक पहचान को संरक्षित कर सकें।

उनके कार्यों का उद्देश्य है समाज को धर्म और भक्ति के उच्च मूल्यों से जोड़ना और उन्हें एक बेहतर भविष्य की दिशा में प्रेरित करना। इसके साथ ही, वे सादगी, प्रेम, और करुणा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं, जिससे समाज में सौहार्द्र और सामंजस्य बढ़े। उनकी इस सेवा की दृष्टि और संकल्पना समाज को एक नई दिशा देने का कार्य कर रही है।

पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी की अपील: समाज सेवा में आपका योगदान महत्वपूर्ण है!

सद्गुरु कबीर साहेब जी  के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने और साहेब के द्वारा किए हुए कार्यों को आगे बढ़ाने ऐवं  समाज सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाने हेतु पूज्य बापू श्री महंत चुरामणि साहेब जी की अपील।
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